सुधीर गौतम देश के उन प्रोफेशनल्स में से हैं जिनको देश की परवाह है और यह उनके चिंतन और लेखों में चुटीले व्यंग्य के रूप में नज़र आता है. यह लेख उनके ब्लॉग http://medianukkad.blogspot.com/ से साभार लिया गया है। जिस ब्लॉग पर हम राकेश सर की जानकारी से पहुचे, धन्यवाद सर जी।
इत्तेफाक २०११
- स्विस बैंकर एल्मेर विकिलीक्स में स्विस अकाउंट होल्डर का खुलासा कर भ्रस्टाचार के बड़े व्हिसल ब्लोअर बने .
- जर्मन मैगजीन का खुलासा इंडोनेसिया, जायरे, सुदान, हैती, निकारगुआ के बेईमान शासकों के साथ मृतक सद्दाम के अलावा राजीव गाँधी बड़े स्टेक होल्डर.
- बाबा रामदेव का भ्रस्ताचार के खिलाफ बयान और फिर काले धन की वापसी पर केन्द्रित आन्दोलन का सरकार द्वारा बर्बरता से दमन.
- अन्ना और सिविल सोसायटी का तमाम सरकारी सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों के साथ लोकपाल बिल के लिए आन्दोलन सरकार का नाटकीय विरोध फिर घुटने टेकना या मुद्दे को लटकाए रखना पर बर्बरता से दमन नहीं करना,
- क्या ये सब इत्तेफाक है, या इत्तेफाक की हद हो गयी है भाई…
मेरा बेटा हमेशा नाटकीय रूपांतर करता है उस घटना का जो इस सदी की लोकप्रिय बाल फिल्म का दृश्य है “तो ये सच है जो लोग ट्रेन में कह रहे थे “हैरी पोटर भी होग्वार्ट्स आया है” सुना है लोग इसी तर्ज पर बात कर रहे है की “तो ये सच है “अन्ना” तो मात्र मुखौटा हैं, दादाजी जैसे दीखते हैं तो जनता का समर्थन है.
“कई दिनों से कोई मुद्दा भी नहीं था और कुछ काम केचक्कर में घनचक्कर बने हुए थे, भला हो अन्ना का नुक्कड़आने को बाध्य ही कर दिया, पहुंचे तो देखा संजय पेड़ की डालसे बेताल की तरह उल्टा
लटका आराम कर रहा है.
हमने अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हुए धौंश जमानी चाही,Hey Sanjay,dude, where have you Been, log time No see…कोई जवाब न पाकर गलती पर शर्मिदा होते हुए दोबारा आवाजलगायी…
“अरे संजय हियाँ आओ भैया आयो, कहाँ गए रहे इतने दिन, ननुक्कडे पे दिखे, न बारे में आये, ना प्रेसे क्लब के आसपासफटके, ध्रतराष्ट्र भी नहीं नजरा रहे, का ध्रतराष्ट्र का नौकरी
छोड़दिए हो.” बोले का मजाक कर रहे हैं सर, ऊ तो ज़माना हो गया, पहले प्रिंट मेंरहे कुछ साल, अब इलेक्ट्रानिक मीडिया ज्वाइन कर लिए हैं,राजनीति बहुते बदल गयी है,
पर अभी भी हम ठीके ठाक देख लेते है,इसीलिए अन्ना के साथ साथ हैं आजकल, लाइव कवर कर रहे हैंपूरा…
पर आप कहाँ है…आजकल …दोस्तों से नजर बचा कर धंधे पानी में लगा हूँ यार…कल…
“संजीव गंगवार” का एस एम एस आया अन्ना तुम्हारे बच्चों केसपोर्ट में लड़ रहे हैं, उनका सपोर्ट नहीं करोगे.
मेरा जवाब: नहीं यार, काम कर रहा हूँ, न तो अन्ना को मेरेसपोर्ट की जरूरत है, नहीं और मेरे बच्चों को अन्ना के, हमदोनों अपना अपना सपोर्ट
करने में माहिर हैं. तुम वैसे हीबेकार हवा बना रहे हो, कहीं कोई ”मीडिया-वीडिया” में तोनहीं ज्वाइन कर लिया.
“सुरेश भाई” ने तो चेनल (माफ़ करना ये वाला तो चैनल है शायद )से काम रोककर फ़ोन किया की सर आप कहाँ है, आग लगी है देशमें, अन्ना के सपोर्ट में नहीं जा रहे,
“सतेंदर” 48 घंटे से गया हुआ था,सिविल लाइन, जयप्रकाश पार्क, तिहाड़ जेल अब आया है, वो भीइसीलिए की ”यार अन्ना तो नौकरी ले लेंगे, बहुत हुआ अब काम भीकर
लिया जाए.” आप क्या सोच रहे हो सपोर्ट के लिए, क्या कर रहेहो.
मेरा जवाब: उसी में लगा हूँ यार थोडा काम कर लूँ तो सपोर्टकरता हूँ , शायद आज रात में टाइम मिले तो देखता हूँ…अबसपोर्ट किये बिना
रहा भी नहीं जा सकता. इतने बन्दे पीछेलगे हुए हैं, की मैं भी सपोर्ट करूँ.
“सपना गिरी” का मेल आया तो मामला कुछ ख़ास नहीं लगा परसोचा चलो अन्ना के बहाने भूले बिसरे लोग एक दूसरे से तवारूफहोंगे (गुजरे दशकों के भूले बिसरे गीतों में से एक गीत यादआया…होली के बहाने आ गए, वैसे होली कब है, भैया, अपने अन्नातब
तक चलेंगे न, काहे से की मण्डी हाउस वाला पगला से से जब पूछे बोला रहा ”मुश्किले है भैया, अपने अन्ना एकदम पका आमे हैं,खुशबू बिखेरे हैं, जब ला हैं, सपोर्ट कर ल्यो.”
मेल है खैर इनबाक्स में, अभी न तो फारवर्ड ही किया, न हीडिलीट, देखते हैं क्या करना है, पहले सोच रहे हैं कामवालीढून्ढ लें, तो सीमा को थोडा टाइम मिले
तो कम से कम तेजखबरों से देश का आँखों देखा हाल मिले और झाड़ू पोंचे सेनिजात के अलावा घर में सुख शांति रहे, भ्रष्टाचार तो चलतारहेगा, कम कम से कम
घर में आचार व्यवहार भ्रष्ट होने से तोबचा लेंगे.
लेकिन अभिन्न मित्र और मेरे संपर्क में इकलौते इंटेलिजेंटसरदार “रूपिंदर सिंह” (सिख बंधू बुरा न माने मेरा दोस्तों कादायरा, फेसबुक से इतर थोडा सीमित है ) ने जब वही मेल कियाऔर अपील की “वही सब” (forward) करने की जो एकजागरूक बन्दे को करना चाहिए तो रहा नहीं गया…और वैसे भी इससे पहले की “राजकुमार” से बात करू और फिर फ़ोन की झड़ी लग जाए, फोन उठाया और…यहाँ चला आया.
कुछ सवाल है मन में…सोच रहा हूँ सब से अलग अलग पूछूँ या फिर एक साथ ही, जिसको जिसका जवाब मिले दे देगा…तुम भी “देखना” भैया दिव्य द्रष्टि वाले हो…पुराने चावल…
- अन्ना तो ७४ वर्ष के हैं, देश के नेतागण आजादी के बाद बल्कि कांग्रेस की शुरुआत के कुछ सालों के बाद से भ्रष्ट आचरण में है, पिछले कुछ समय से तो अवाम की आदत भी पड़ गयी थी, अबअचानक इतना बवाल क्यों.
- क्या ये सच है “अन्ना” तो सिर्फ मुखौटा हैंअसल में तो उन्हें खड़ा करके टूजी घोटाले मेंटाटा और अंबानी का बचाव करना था, अब समझौता हो जायेगा और सब मामला भी शांत। असली चेहरा तो “टीम-अन्ना” के मीडिया मैनेजर्स मनीष और केजरिवाल है । मनीष कोउसकी कबीर नाम की संस्था के नाम पर फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन से मोटा पैसा मिलता है । पैसा दिलवाने में अहम भूमिका है नारायन मूर्ति की जोफ़ोर्ड फ़ाउंडेशन के बोर्ड में हैं और राष्ट्रपति नही बनाये जाने से एक विशेष धड़े से विरक्त भी, तथा लम्बे समय से उनके इनफ़ोसिस से रिटायर होने के निर्णय के अब क्रियान्वन के बाद थोडा वक्त भी है। क्या बाकी सब मगलू हैं “
- राजकुमार भाई ने बताया…अन्ना के आदोलन में नारे लग रहे हैं “गली गली में शोर है कपिल सिब्बल चोर है, ये अन्दर की बात है पुलिस हमारे साथ है” क्या सिर्फ कपिल सिब्बल चोर है,और पुलिस क्यों सिर्फ अन्ना के साथ है,बाकी किसी भी आन्दोलन के दमन के लिए ही है.
- राज्यपाल, राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य,न्यायपालिका, पुलिस, लम्बी चौड़ी नौकरशाहों की फ़ौज सभी तो जनता के ही चुने हुए प्रतिनिधियोंद्वारा शासन में जनता के हित के लिए विभिन्न विकल्पों द्वारा चुने हुए हैं, आखिर एक लोकपाल और हो जाने से क्या भ्रष्टाचार हल हो जायेगा.
- अब तक हुए सारे घोटालों का जोड़ और अकेले स्विस बैंक में जमा कला धन बराबरी के मुकाबले है फिर काले धन के लिए अन्ना कब आमरण अनशन करने वाले हैं (लोकपाल तो बन जाएगा पर घोटाले में खाए सैकड़ों हजार करोड़ के काले धन का क्या ) , और अब तक “प्रभुद्ध लोगों की सिविल सोसाइटी-अन्ना प्रबंधन” ने क्यों नहीं अन्ना से अनशन करवाया, कई वर्षों पहले इस धन का पता चल जाने के बावजूद.
- “इंटरनेट (“विकिपीडिया”) पर अन्ना का अपडेटेड अवतार” है, पहले वाले का क्या हुआ जिसमे अन्ना की “अर्ली लाइफ” के विवादस्पद मुद्दों की झलक थी, चाहे वो ”मुंबई में उस समय भाइयों को सेट करने के लिए की गयी डानगिरी से की गयी डिसेंट अर्निग” का जिक्र हो, या फिर “गोला बारूद से भरे ट्रक को लेकरबोर्डर से अकेले जिन्दा वापस आने का संदेहास्पद मामला.”अपडेटकरते वक्त पुराने को हटाने की बजाय क्यों नहीं सिर्फ नया ऐड कर दिया गया.क्या ये भी अन्ना प्रबंधन का एक और “सुनियोजित कदम (साजिश)” है. जो तारीफ़ के काबिल होना चाहिए या प्रबंधन संस्थानों के लिए “अकेडमिक इंटरेस्ट”का विषय.
- जिसको देखो पूछ रहा है, बता रहा है अन्ना के साथ है, अन्ना है, आप आओगे, क्यों नहीं आये, रामदेव जब खड़े थे किसी ने नहीं पूछा, क्या सभी का पैसा स्विस बैंक में है, हमीं बैठे हैं पंजाब नेशनल बैंक, और आई सीआई सीआई का दामन थामे. क्या ई एम आई ख़तम होने पर राजीव भैया को बोलकर फार्म ढूढें स्विस बैंक का.
- सोनिया जी का पता नहीं चल पा रहा,कपिल सिब्बल को तो चलो छोड़ ही दें, पररामदेव को किनारे लगाने वाले दिग्गी राजा,दिग्गजों की फ़ौज के बाकि सिपहसालारों-प्रणब दा, पी चिदंबरम, वीरप्पा मोइली, सलमान खुर्शीदआदि आदि (कृपया अन्य माफ़ करें पूरी कांग्रेसपार्टी दिग्गजों, संजय की तरह…पुराने चावलों की है,लिस्ट लम्बी हो जायेगी) के बावजूद राहुल बाबा ने खुद प्रधानमंत्री से “निवेदन” किया अन्नाको छोड़ने के लिए, कमाल है अखबार वाले भी खासकर “हिंदुस्तान” वाले, राहुल बाबा की “ईमेज” क्यों खराब कर रहे हैं, क्या करना चाहिए “हिंदुस्तान बदल दूँ” या “अन्ना के लोकपाल” से हिंदुस्तान के बदलने का इंतज़ार करूँ.
- किसी भी मुद्दे से दूर दिल्ली की लकदक को छोड़ शांत आसाम (जोरहाट) बसने वाले सुमंत भाई का फ़ोन भी आया दिल्ली में हवा है, मैं होता तो जाता, क्या चल रहा है…क्रांति होगी क्या…मैंने कहा नहीं जब तक हमारे तुम्हारे जैसे मिडल क्लास भाई धंधे पानी में है तब तक नहीं, बाकि हवा है… कुछ दिनों में निकल जायेगी,
- हवा किसी की नहीं रही…मीडिया जब तक चाहे हवा है, न चाहे तो तो तुम्हारे नोर्थ ईस्ट में ”आयरन लेडी ऑफ़ मणिपुर” ”इरोम शर्मिला” की तरह,
- हवा बनने ही न दे, बेचारी सच में आयरन लेडी है 2 November 2000 से भूखी अनशन पर है,कोई हवा नहीं, कैंडल मार्च नहीं. क्या अन्ना को सरकार ”ऐसे मरने” देगी, क्या गाँधी नगर में कभी भी ऐसी टी-शर्ट और टोपी मिलेगी जिसपे लिखा हो “मैं इरोम हूँ”
- क्यों किरन बेदी तो अन्ना के साथ हैं, लेकिनतिरुनेल्लाई नारायणा अय्यर शेषन,गोविंदस्वामी करुप्पिः मूपनार , गोविन्द राघव खैरनार
- (लिस्ट लम्बी है जाने दो, तुम कनफुजिया जाओगे) बाकी सब गायब हैं, जिनकी जिंदगी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए गुजरी.(क्या मिजोरम कोटे से एम्स में बिटिया के इलीगल प्रवेश करवाए का पश्चाताप कर करने हेतु)
- क्या अन्ना के साथ पूरा देश है, जैसा अखबार और टी वी लिखते दिखाते हैं, याऔर भी लोग हैं जो ऐसा सोचते हैं जैसे मैं सोच रहा हूँ या फिर पत्नी और दोस्त सही हैं की मुझे इलाज की सख्त जरूरत है.
- क्या बाबा रामदेव के आदोलन में इतने लोग नहीं थे,क्या आरुशी मर्डर काण्ड में इससे अधिक मोमबत्तियां नहीं जली, क्या सिविल सोसाइटी सिर्फ अग्निवेश, किरन बेदी, अरविन्द केजरीवाल, शांति भूषन और टीम अन्ना तक सीमित है, क्यों कालोनियों में अन्ना की जय बोलने वालों संगठित जुलूसों में उसी पार्टी का झंडा लेकर लोग दहशत फैलाने की हद तक उन्मादी हैं जो पार्टी आजादी के तुरंत पहले और उसके बाद से एक ही परिवार विशेष के हित साध रही है, क्या अन्ना उसके खिलाफ नहीं हैं, ये सब नाटक ऐसा ही है, जैसा दूर अतीत में “मैक्सिमस” ने रोम के लोगों को ग्लैडियेटर के ख़ूनी खेल से उत्साहित कर जनहित के मुद्दों से भटकाने के लिए रचा, या निकट अतीत में स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा ने भूखी प्यासी करोड़ों की तादाद जनता को अरबों का सरकारी धन स्वाहा कर “अपना उत्सव” जैसी सुनियोजित नौटंकी के उन्माद में उलझा कर विपक्ष को कमजोर करने के लिए किया .तब हम बच्चे थे, आज हमारे बच्चे हैं, खेल वही है, मुद्दे गहरा गए हैं, तब हमने खेल का मजा लिया हमें लगा “अपना उत्सव” “अपना,” आज इन्हें लगता है की “वो अन्ना हैं”.षड़यंत्र की बू आती है, क्या सिर्फ मुझे.
अच्छा संजय लिस्ट से याद आया अन्ना के दोस्तों,अन्नाओं और तुम्हारे लिए नीचे एक लिस्ट और है…थोडा देखो दिव्य दृष्टि और दिव्य हो जायेगी…
क्या बतियातो हो भैया कुछ भी बोल देते हो, खाली दृष्टि बोलिए न दिव्य काहे लगाते हैं, रामदेव का भूल गए हो का दिल्ली से “तडीपारे” करवाओगे का
अभी अभी तो रंग जमा है “न्यूजरूम-पालिटिक्स” में उलझ गए तो गए… और आप क्या आजकल ”हिन्दू -विन्दु” वाला “बैठकी, पार्टी” में उठ बैठ रहे हैं का…हमेशा उल्टा फैसन का तो आदते है आपका, जब सब हुआन थे तो, हसिया कुदाल पकडे थे, अब अन्ना का फैसन है तो…
थोडा दिमाग लगाइए सब सवाल अपने आपे बुझा जायेगा. हमें देखिये कैसे लप्प से ध्रतराष्ट्र का नौकरी छोड़े औरे टी वी में घुसे , का फायदा
सभी तो ध्रतराष्ट्रऐ हैं. कम से कम प्रेस का कार्ड तो पाए, बड़ा बैल्यू है,आप क्या समझिएगा, आपको तो वैसे भी…उल्टा चलने का सौके है, और ये कह कर बेताल की तरह उल्टा लटक गया…मानो संजय का बेतालीकरण हो गया हो.
एक बार फिर पलटा और बोला देखो बाबू , थोडा समझो , अपने बाबूजी की तरह जिद मत न फान्दो, पूरा जिंदगी बस लड़ाइए करना है कांग्रेस कभी नहीं जायेगी,
विपक्ष का घिग्घी बंधाहै…का बोले का न बोले…
हम बोल रहे हैं …कोई भी हारे अन्ना, चाहे सरकार, या फिर पब्लिक जीतेगी पार्टी ही, लोकपाल बनबे करेगा,अन्ना का नाम होगा, राहुल बाबा
प्रधानमंत्री होने ही हैं आज नहीं कल, जरा मैडम पैसा सही जगह सरिया आवें,जाने रहे हैं स्विस बैंक सेफ नहिएँ रहा जब से हल्ला मचाया है
आपका कुछ पागल लोग…एक तीर से कई निशाना बनेगा, फजीहत होगा तो जैसे ”मनमोहन” का हुआ, प्रधानमंत्री बना कर उसका फायदा उठाया,
राहुल बाबा तब नहीं ”रेडी” थे फिर इस बार बचा खुचा सीनियर घाघ अन्ना वाले मामले में निपट जायेगा…
और हाँ एक बात और आप एक दो सिटिंग क्यों नहीं लेते हैं, हम एक बढ़िया डॉक्टर जानते हैं, आप तो खुदी कितना मेडिसिन का जानकारे हैं, काहे कोताही करते हैं,
फिर दिक्कत होगा …आपके घर गए थे कल ढूढ़ते हुए की ले चलेंगे अन्ना से मिलवायेंगे…कहीं चेनल में फिट करवा देंगे…आपकी पत्नी से मिले साक्षात् सरस्वती है जबान पर…भाभी जी बतायीं पुराना मर्ज है…इलाज बंद कर दिए हो जिद में…ये ठीक नहीं है कम से कम घर बार का तो सोचो…५-७ हजार कमाए वाला भी पोलिसी लिए हुए है…
थोडा टाइम निकालिए तो हमारे पास कई अच्छा इन्वेस्टमेंट प्लान है…पार्ट टाइम में इंसोरेंस और म्युचुअल फंड कर लेते हैं…अतिरिक्त आमदै के
लिए करते हैं…फिर जब कोई खबर नहीं होता तो मक्खी मारने से का फायदा…एक बार लोकपाल बना फिर का रह जायेगा…पब्लिक अपना घर अन्ना अपना…अभी कान्टेक्ट बना रहे हैं काम आएगा.
कल तैयार रहिएगा सुबह आयेंगे लेने, कुछ दिन का खेला है और…हमारा मानिये अन्ना से ही मिलवा देंगे और वापसी में डॉक्टर से भी. सत्ता का नशा चढ़ा नहीं की नुक्कड़ का नशा कपूर हो जायेगा…या फिर काफूर जो भी आप बोलते हैं.
और हाँ अन्ना को खुश करना है तो आप तो अच्छा लिखते हैं, एगो नारा लिख दीजिये, रोज वही बोल बोल कर मजा नहीं आता.
मुझे लगा नीद आ रही है घर चलना चाहिए, वैसे भी कल रात देर हो गयी थी तो अच्छा खासा झमेला हो गया था, अभी तक नोर्मल नहीं हुआ…पिंड छुड़ाने के लिए कागज़ पर लिख दिया “ना मैं अन्ना ना तू अन्ना-अन्ना सारा देश है”
वाह सुधीर भाई छा जाइएगा एक बार हमारा कहा मानिए, और कल चल कर मिलते ही बोल दीजिये “ना मैं अन्ना ना तू अन्ना-अन्ना सारा देश है”
अब सो जाइए Forget about everything the list & your ANALYSIS आप कवि हैं लेखक हैं, कोई “काग” (COMPTROLLER & AUDITOR GENERAL OF INDIA-CAG) थोड़े ही है, और वैसे भी “काग” ही कहाँ अपना कम करता है, सब दिखावे का है दुनिया,काहे ला जान देते हैं
Name of Scam-they do have Name | Year-off course when came o surface | Appx or Actual Amount | | ||||
Jeep Purchase | 1948 | 80 | lakh | ||||
BHU Funds | 1956 | 50 | lakh | ||||
MUNDHRA SCANDAL | 1957 | 1.25 | crore | ||||
Teja Loans | 1960 | 22 | crore | ||||
Kuo Oil Deal | 1976 | 2.2 | crore | ||||
HDW Commissions | 1987 | 20 | crore | ||||
Bofors Pay Off | 1987 | 65 | crore | ||||
St Kitts Forgery | 1989 | 9.45 | crore | ||||
Airbus Scandal | 1990 | 2.5 | crore per week | ||||
Securities Scam | 1992 | 5000 | crore | ||||
Indian Bank Rip Off | 1992 | 1300 | crore | ||||
Sugar Import | 1994 | 650 | crore | ||||
JMM Bribes | 1995 | 1.2 | crore | ||||
In a Pickle | 1996 | 10 | lakh | ||||
Telecom Scam | 1996 | 1.6 | crore | ||||
Fodder Scam | 1996 | 950 | crore | ||||
Urea Deal | 1996 | 133 | crore | ||||
CRB SCAM | 1997 | 1000 | crore | ||||
VANISHING COMPANIES SCAM | 1998 | 330.78 | crore | ||||
PLANTATION COMPANIES SCAM | 1999 | 2563 | crore | ||||
Chetan Parekh Scam | 2001 | 137 | crore | ||||
Stockmarket Scam | 2001 | 115000 | crore | ||||
Home Trade Scam | 2002 | 600 | crore | ||||
Stamp paper Scam | 2003 | 30000 | crore | ||||
IPO Demat scam | 2005 | 146 | crore | ||||
Bihar flood relief scam | 2005 | 17 | crore | ||||
Scorpeno submarine scam | 2005 | 18978 | crore | ||||
Punjab’s City Centre project scam | 2006 | 1500 | crore | ||||
Taj Corridor scam | 2006 | 175 | crore | ||||
Pune billionaire Hassan All Khan tax default | 2008 | 50000 | crore | ||||
The Satyarn scam | 2008 | 10000 | crore | ||||
Army ration pilferage scam | 2008 | 5000 | crore | ||||
The 2•G spectrum swindle | 2008 | 176000 | crore | ||||
State Bank of Saurashtra scam | 2008 | 95 | crore | ||||
Illegal monies in Swiss banks, as estimated in 2008 | 2008 | 7100000 | crore | ||||
The Jharkhand medical equipment scam | 2009 | 130 | crore | ||||
Rice export scam | 2009 | 2500 | crore | ||||
Orissa mine scam | 2009 | 7000 | crore | ||||
Madhu Koda mining scam | 2009 | 4000 | crore | ||||
Commonwealth Games Scam | 2010 | 40000 | crore | ||||
Total Money looted | | 7573470 | crore | ||||
Alone in Swiss Bank | | 7100000 | crore | ||||
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