February 21, 2011

कौन है हम

कौन है हम और है आये कहां से
क्या है हमारा ठिकाना
हंस देते है हम, जो पुछे है हमसे
बाते यही है जमाना।

गाते है क्यूं और चिल्लाते है क्यूं हम
बेकार है ये बताना
हमारे लिये तो लहू गर्म रखने का
छोटा सा है इक बहाना।


मगर याद रखना, लहू की हमारे
जो गर्मी रहेगी, यहां पर
उसे अपने खूं की, हर इक बूंद से है
उसी से है उबाला लगाना।

आये है हम तो, चले जायेगें भी
रह जायेगा ये तराना
कसम है तुम्हे कि हां बाद हमारे
तुम भी इसे गुनगुनाना।

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