December 17, 2010

हमदर्दी

धड़ाम! एक तेज आवाज के साथ एक मोटर साईकिल एक साइकिल से टक्कर खा जाती है।
आह मर गया, आह मर गया, हे! भगवान, साइकिल सवार लगातार जख्म से कराह रहा था।
मोटर साइकिल सवार उसकी हालत देखकर, ओह गॉड, मार डाला।
मौके पर ही घटना पर भीड़ इकटठी हो गई और मोटर साइकिल सवार को उठाया तो उसे होश सा आया और उसने खुद को संभाला और खड़ा हो गया। मोटरसाइकिल सवार की सहायता एक वी.आई.पी. तरह की जा रही थी और उसके जूस वगैरह लाकर दिया गया। थोड़ी देर बाद बिल्कुल ठीक महसूस करते हुए, ओह!, थैक्स, आप लोगो का।
साइकिल वाले की ओर देखकर थोड़ा कराहते हुए बोला, अबे साइकिल चलानी नही आती है तो चला क्यो रहा था।
भीड़ मे से किसी का ध्यान जख्मी साइकिल सवार पर नही गया।
ओह गॉड, बच गया! मै अगर ओवर एक्टिग नही करता तो पब्लिक पीटती बहुत, यही सोचता हुआ मोटर साइकिल सवार पब्लिक को चकमा देकर फरार हो गया।
साइकिल सवार अब भी कराहते हुए भगवान को याद कर रहा था। कोई उसकी मदद को आगे नही आया क्योकि उसके कपडे गन्दे और वो मजदूर सा प्रतीत हो रहा था।
तभी दूर से एक उसकी तरह मजदूर सा दिखने वाला आदमी आया और उसे जल्दी से कन्धे पर उठा कर अस्पताल की तरफ चल दिया।

ये दिखावे दुनिया है दिखावे पर जाती है।

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